परिचय-
भोजन को 3 किस्मों में बांटा जाता
है-
- एलिमिनेटिव भोजन
- शांतिदायक भोजन
- रचनात्मक भोजन
Food (diet) is
divided in 3 types-
- Eliminative diet.
- Diet that provide
peace.
- Structural diet.
प्राकृतिक चिकित्सा के मुताबिक हमारे शरीर की भोजन
पचाने की प्रणाली में जहरीले पदार्थों के जमा हो जाने से शरीर के अन्दर बहुत सारे
रोग पैदा होते हैं। इसलिए उपवास रखकर शरीर की ऊर्जा की दिशा बदलकर शरीर को साफ
करना बहुत जरूरी है। उपवास करना लगभग सारे रोगों में बहुत जरूरी है और लाभकारी भी
है। आयुर्वेद के मुताबिक उपवास करने से भोजन पचाने की प्रणाली को ही नहीं, बल्कि
शरीर के सारे तत्वों- लसीका, खून, मांसपेशियों,
अस्थिमज्जा, हड्डीऔर वीर्य को साफ करने में सहायता मिलती है। बहुत ज्यादा कमजोर रोगियों, गर्भवती
स्त्रियों, बड़ी उम्र के लोगों, बच्चों और टी.बी. के
रोगियों को उपवास करने के लिए अक्सर मना किया जाता है। उपवास काल में रोगियों को
उनकी सेहत और रोग के मद्देनज़र पानी, नींबू के रस या ताजा रसों पर ही रखा जा सकता है।
रोगियों को रोजाना एनिमा देना, ठंडे पानी से लपेट का इस्तेमाल, स्नान
और आराम कराना चाहिए। उपवास रखने पर रोगी को शुरूआत में 2
दिन तक परेशानी आ सकती है, लेकिन व्यक्ति को जब तक दुबारा भूख नहीं लगती तब तक वह
उपवास कर सकता है।
According natural
doctor, by accumulation of toxins in our digestive systems, several diseases
are occurred inside our body. So, it is very important to clean the body
internally by performing fast. Performing fast is very necessary and beneficial
in all the diseases. According to ayurveda, not only the digestive systems, but
all the body organs like- lymph, blood, muscles, bones, bones marrow, sperm,
etc. are cleaned by performing fast. But, it is restricted for too weak people,
pregnant, old people, children and T.B. patients, etc. During fast, the
patients can take water, lemon juice or fresh juices according their disease
and health. They should use enema, wrap cold cloth, and take bath and rest
daily. In the beginning of fast, the performer can face troubles up to 2 days,
but he can continue it until feels hunger again.
उपवास के दौरान ये लक्षण नजर आ सकते हैं-
मुंह का स्वाद बिगड़ जाना, जीभ
का सफेद हो जाना, मुंह से बदबू आना, उल्टी होना, पेट
में दर्द होना, चक्कर आना, थकान आदि। इन सारे लक्षणों के प्रकट होने पर पता चलता
है कि शरीर के अन्दर से जहरीले पदार्थ बाहर निकलने शुरू हो रहे हैं। जीभ के दुबारा
साफ होने पर और भूख के खुलकर लगने तक रोगी के दुबारा ठीक होने तक उपवास करने की
राय दी जाती है।
किसी भी रोगी को उपवास के बारे में पूरी जानकारी होने
के बाद ही उपवास रखना चाहिए। उपवास काल में रोगी को ज्यादा मेहनत वाले काम नहीं
करना चाहिए जैसे- व्यावसायिक काम, ऑफिस का काम आदि और उसे दिमाग से सारी चिंताओं को
निकाल देना चाहिए। चिकित्सा के रूप में हल्के काम करने के बारे में कहा जाता है
जैसे- योगासन या सैर करना।
Following symptoms
can be seen during fast-
Tasteless mouth,
whitening of the tongue, fetid smell from the mouth, vomiting, pain in the
stomach, vertigo, tiredness, etc. all these symptoms are the signs of removing
out poisonous substances (toxins) from the body. It is advised to the patient
to perform fast till becoming the tongue clean again and feeling appetite.
The patient must
perform fast after knowing the full knowledge about it. During fast, he should
never do any hard work like- business work; office work etc. and he should also
remove out all the worry from his mind. In the sense of treatment, it is said
to do little work during fast like- yogasanas and walking.
शांतिदायक भोजन-
शांतिदायक भोजन में रोगी को फलों का जूस, मट्ठा, सब्जियों
का सूप तथा रस, कच्ची सब्जियों की सलाद, उबली
हुई सब्जियां, गेहूं और चावल से बनी हुई चीजें खाने को कहा जाता है।
भोजन में बंदगोभी, सलाद, गाजर, स्ट्रिंग
बीन, कद्दू आदि को खाया जा सकता है। हर तरह के पके हुए फल
भी खाने के लिए बहुत अच्छे होते हैं, क्योंकि इनमें जीवाणुशाली अम्ल होते हैं। इसमें
कभी-कभी रोगी को सिर्फ फल खिलाकर ही रखा जाता है, इस दौरान रोगी को मौसमी
फल और कच्ची सब्जियां खाने को दी जाती हैं। फल और सब्जियों को अच्छी तरह चबा-चबाकर
खाना चाहिए। फल और मट्ठे को इस्तेमाल करने से आन्तों की कमी को पूरा किया जा सकता
है। कच्चे पदार्थों को अच्छी तरह चबाकर खाने से पेट में गैस बन सकती है।
Diet that provides
peace-
In this category, it is said to take
fruits juice, whey, vegetables soup and juice, salad of raw vegetables, boiled
vegetables, food prepared from wheat and rice, etc.
Cabbage, salad, carrot, string bean,gourd, etc. can be taken. All types of ripe fruits are also best, because they
have bacterial acid. Sometimes the patient is kept only on fruits like-
seasonal fruits and raw vegetables. Fruits and vegetables should be swallowed
after proper chewing. By the use of fruits and whey, the requirement of
intestines can be fulfilled. If raw eatables are not chewed well, gas can form
inside the stomach.
रचनात्मक भोजन-
रचनात्मक भोजन में रोगी को दूध, दही, उबली
हुई सब्जियां, रोटियां, चावल, दाल जैसा पूरा भोजन दिया जाता है।
सभी तरह के मांस, गाय का मांस, जानवरोंके मांस के शोरबे को बड़ी ही सख्ती के साथ भोजन से बाहर रखा गया है, क्योंकि
इनमें ऊतकों के अपशिष्ट पदार्थ, यूरिक अम्ल, क्रिएटिनाइन तथा बाकी दूसरे तत्व मौजूद होते हैं, जो
इन पदार्थो के सड़ने की वजह से पैदा हो जाते हैं।
हमारे खाने वाले भोजन में उबली हुई सब्जियां जरूर
होनी चाहिए, जिनमें किसी भी तरह के हानिकारक तत्व नहीं होने
चाहिए। सादा भोजन हर किसी के लिए अच्छा होता है, चाहे व्यक्ति स्वस्थ हो
या रोगी हो। बुखार, मोटापा, पोषण सम्बंधी विकार, बदहजमी, पीलिया, जिगर
का सिरोसिस, ब्रोकांइटिस रोग, मलेरिया, टी.बी.
रोग, एक्जिमा, खून की कमी, भारी संक्रमण और हर प्रकार की जलन और सूजन तथा शरीर
के मुश्किल और पुराने रोगों की चिकित्सा करने के लिए भोजन अच्छी तरह करना चाहिए।
अचार, डिब्बे में बंद और तले हुए भोजन के पदार्थ, चाय-कॉफी, कोको, शराब
तथा सरसों, कालीमिर्च, गर्म चटनियों से बनाए मसालों आदि से बचना चाहिए।
Structural diet-
In this category, complete food
like- milk, curd, boiled vegetables, chapattis, rice, pulses, etc. are given to
the patient.
All types of meat, buffs, soup of
animal meat, etc. have kept away (avoided) from this category, because these
contain tissues wastes, uric acid, creatinine and other harmful substances that
are produced after decomposition of them.
Boiled vegetables must be present in
our diet that must have no any harmful substances. Normal diet is good for
everyone, whether he is healthy or sick. For the treatment of fever, fatness,
nutrition related disorders, indigestion, jaundice, psoriasis of liver,
bronchitis, malaria, T.B., eczema, deficiency of blood, infections, all types
of burning and swelling, complicated and chronic diseases, etc., food should be
taken properly. Eatables like- pickles, packaged and fried food stuffs, tea,
coffee, coco, alcohol, mustard, black pepper, spices made from hot sauce, etc.
should be avoided.
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