परिचय-
Introduction:
रोगी व्यक्ति का भोजन एक स्वस्थ व्यक्ति के भोजन से अलग होता है। रोगी व्यक्ति की बीमारी के कारण पूरे शरीर की खासतौर पर भोजन पचाने की क्रिया भी खराब हो जाती है। इसलिए वो स्वस्थ आदमी वाला भोजन नहीं कर सकता। इसके अलावा खाने-पीने की कुछ चीजें उसके रोग के प्रतिकूल होने से रोग भी बढ़ा देती हैं जैसे डायरिया रोग में दूध, खांसी-जुकाम होने पर दही और बर्फ वाली ठण्डी चीजें, बुखार होने पर परांठे जैसी तली हुई चीजें आदि। वैसे भी अगर बीमारी की हालत में रोगी को सामान्य खाना दिया गया तो भूख न लगने से रोगी उसे खा नहीं पाएगा और जबरदस्ती करने पर उल्टी कर देगा या खा लेने पर उसके कमजोर पाचन अंगों पर भार पड़ेगा और पहले से ही बीमारी में उसे ओर पाचनतन्त्र के रोग लग जाएंगें।
The diet of a
patient is different to a healthy person. Activity of whole body of the patient
especially digestion system get affected because of illness. Hence, this is the
reason that the patient cannot get the diet of a healthy person. Besides it,
some foodstuffs aggravate the disease of the patient too because such
foodstuffs are not acceptable in the disease. For example, milk in diarrhea,
curd and ice in cold and catarrh, parantha and other oily foodstuffs in
fever etc. if normal food is given to the patient in the stage of illness, he
vomits the meal or there will be a burden on the weak digestive organs. Thus,
he will become the patient of several stomach disturbances.
टोटल कैलोरी कम न हो- कुछ लोग सोचते है कि रोगी को भूखा रखने से उसका रोग जल्दी दूर हो जाएगा पर ये सोच बिल्कुल गलत है। रोग तो शायद इससे दूर हो जाएगा पर व्यक्ति के अन्दर कमजोरी आ जाएगी। चिकित्सा विज्ञान के नये अनुसंधानों से यह बात तो तय हो चुकी है कि रोग की हालत में व्यक्ति को टोटल कैलोरी की जरूरत होती है क्योंकि उसे रोगों से लड़ने की ताकत भी पैदा करनी होती है। इसलिए भोजन में संसोधन उसके रोग की अनुकूलता के अनुसार ही करना होगा, टोटल कैलोरी घटाकर नहीं जैसे अलग-अलग रोगों में पाचन की दृष्टि से स्टार्च और वसा वाली चीजें ही कम करनी चाहिए, शर्करा ओर प्रोटीन वाली नहीं। इसलिए रोगी को फलों के रस मे ग्लूकोज डालकर दिया जाता है। दलिया ,दूध, सूजी, साबूदाना आदि हल्के पचने वाले भोजन के साथ भी शर्करा का योग रखा जाता है ताकि उसे शक्ति के लिए पूरी कैलोरीज मिलती रहे।
Some people think
that the disease disappears soon if the patient is kept hungry. This notion is
quite wrong. Perhaps, the disease disappears by doing so but the patient will
face great body weakness in this situation. It has been proved after medical
researches that a person needs total required calorie in the stage of illness
too because the body has to produce fighting power against the diseases. Hence,
improvement in meal should be done according to the disease not by reducing the
quantity of calorie. For example, starch or fatty things should be reduced in
different disease in the point of view of digestion system but sugar and
proteins should be reduced at all. Sugar is used with groats, milk, suji and
sabudana-easily digestive meal so that the patient keeps on getting complete
dose of calorie.
रोग के पूरी तरह से ठीक हो जाने के बाद भी रोगी के शरीर में कमजोरी छायी रहती है इसलिए रोगी को हल्का पौष्टिक भोजन ही देना चाहिए ताकि रोगी के शरीर में ताकत आए और उसे स्वास्थ्य लाभ मिले तथा रोग के दुबारा होने का अन्देशा न रहे। रोगी के भोजन में साधारण खुराक वाली पौष्टिकता का अंश धीरे-धीरे ही बढ़ाया जाना चाहिए। इस मामले में थोड़ी सी गलती या लापरवाही से बहुत सी गम्भीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए अच्छा यही है कि रोग की स्थिति के और परहेज के बारे में डॉक्टर से राय लें और उसके कहने के अनुसार ही चलें। अगर रोगी की इच्छा या जिद को पूरा किया जाए तो यह उसके हालत के लिए बुरा हो सकता है।
After getting rid of
the disease, light meal should be given to the patient because there is
weakness in the body after getting well. It should be done to produce strength
in the body or the patient may get health recovery and he may not become the
victim of any disease again. Nutritive elements should be included in the meal
gradually after getting well. Negligence or a little carelessness about it can
be the cause of bad consequences. Hence, it would be better that the patient
may consult to the doctor about the stage of the disease or abstinence. The
patient should follow all those things consulted by the doctor. If all the
desires of the patient are fulfilled, it proves very harmful for the
patient.
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