वैसे तो देखने में मानसिक रोग, शारीरिक रोगों से अलग प्रतीत होते हैं किन्तु उनके
कारणों में भिन्नता नहीं होती है। इसके उत्पन्न होने का एकमात्र कारण भी शरीर में
उपस्थिति विजातीय द्रव्य होते हैं। जब शरीर में विजातीय द्रव अधिक बढ़ जाता है तो
वह पीठ की ओर से रीढ़ की हडि्डयों से होता हुआ मस्तिष्क की कोमल ज्ञानेन्द्रियों को
प्रभावित करता है। शरीर की जीवनशक्ति के ह्यस और अप्राकृतिक जीवन के फलस्वरूप
पाचनशक्ति के खराब होने से विजातीय द्रव्य धीरे-धीरे शरीर में एकत्र होकर मानसिक
रोगों को उत्पन्न कर देते हैं। इन रोगों का होना अथवा न होना विजातीय द्रव्य की
वृद्धि और मात्रा पर निर्भर करता है। पृष्ठ भाग में विजातीय द्रव्य का भार बढ़ जाने
से आमाशय की नाड़ियों, सुषुम्ना आदि पर अधिक प्रभाव पड़ता है जो मानसिक रोगों
का प्रमुख कारण होता है। जो व्यक्ति संयमी और सात्विक विचार रखने वाले होते हैं
उन्हें मानसिक रोग कम होते हैं।
Generally, mental
diseases seem quite different than the physical diseases but there is no
difference in their causes. Presence of heterogeneous liquids is the only cause
of the appearance of diseases in the body. When heterogeneous liquids enhances
in the body and affect to the soft and tender senses of mind by the way from
back to the backbone, digestion power and vital power of the victim reduces
after slowly gathering of the heterogeneous liquids in the body and the victim
becomes the victim of mental diseases. Appearance and lack of appearance of
such kinds of diseases depends on the quantity of heterogeneous liquids. If
weight of heterogeneous liquids increases in the front portion of the body,
nerves of the stomach and major nerve get affected very much which are the main
cause of mental disease. People who are sober and sincere hardly become the
victim of mental diseases.
मानसिक रोग अथवा मनोविकार शारीरिक स्नायु के मार्ग को
अवरुद्ध करके, तन्तुओं को नष्ट करके जीवन शक्ति की क्रिया में बाधक होकर मल को
शरीर से बाहर निकलने से रोक देते हैं। इससे शारीरिक रोग अधिक हानिकारक हो जाते
हैं। धैर्य का अभाव होना, क्रोधी और चिड़चिडे़ स्वभाव से बुखार बढ़ता है।
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार शरीर में खून की कमी, हृदय रोग, हिस्टीरिया, स्नायु
की दुर्बलता, वीर्य दोष यहां तक कि लकवा और टी.बी. जैसी खतरनाक
बीमारियों के उत्पन्न होने का मूल कारण मानसिक विकार ही होते हैं। यह एक सच्चाई है
कि हमारे शरीर के लगभग 90 प्रतिशत रोग केवल मानसिक विकार के कारण होते हैं।
कुछ मानसिक रोग निम्नलिखित हैं।
Mental diseases or
mental disorders stop the excretion of stool from the body by producing an
obstruction in the passage of nerves and by destroying tissues and by becoming
an obstacle in the process of vital power. Thus, physical diseases become very
much harmful. Lack of patience and irritated nature increases the temperature
of the body. anemia, heart diseases, hysteria, weakness of the nerves, spermdisorders even paralysis, tuberculosis and other dangerous diseases produce
because of the mental disorders according to psychologists. It is truth that
ninety percent diseases produce due to mental causes. Some mental diseases have
been given below.
भय
: भय एक मानसिक रोग है। भय का आघात स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक होता है। भय
से पीड़ित व्यक्ति की कभी-कभी मृत्यु भी हो जाती है। जब किसी के शरीर में भय की
भावना उत्पन्न होती है तो उसका शरीर विष से भर जाता है तथा हृदय की धड़कन बढ़ जाती
है। इससे आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है और कभी-कभी आंखों की रोशनी हमेशा के
लिए समाप्त हो जाती है। भय से पीड़ित व्यक्ति की भूख और प्यास समाप्त हो जाती है
तथा दस्त आदि के साथ-साथ विभिन्न शारीरिक विकार हो जाते हैं। भय से व्याकुल रोगी
थर-थर कांपते हुए निर्जीव सा हो जाता है।
Fear: It is a
mental disease. Attack of fear is very harmful for the health. Sometimes, a
terrified person becomes the victim of death. Body of a person fills with
poison and heart throbbing increases when sensation of fear produces in the
body. Darkness comes before the eyes and sometimes a person loses eyesight
forever due to fear. Hunger and thirst of a terrified person disappear and
sometime the victim suffers from loose motions as well as other several
physical disorders. A terrified person becomes as a lifeless thing due to the
sensation of fear by trembling.
क्रोध : क्रोध भी एक हानिकारक मानसिक रोग है। इसके विभिन्न रूप होते हैं। जब किसी
व्यक्ति को क्रोध आता है तो उसके शरीर में तीव्र विष की उत्पत्ति होती है। क्रोध
खून को जला देता है तथा शरीर की सभी ग्रंथियां `एड्रिनलीन` नामक
एक विषैला रासायनिक पदार्थ उत्पन्न करती हैं जो रक्त में मिल जाती हैं। यदि किसी
व्यक्ति को अधिक क्रोध आता है तो क्रोध के कारण उसकी पाचनशक्ति कमजोर हो जाती है
तथा भोजन के पाचन में सहायक रस विष में परिवर्तित हो जाता है।
Anger: It is also a
harmful mental disease. There are different forms of it. High poison produces
in the body when a person becomes angry. Anger cremates to the blood and all
the glands of the body produce a kind of poisonous substances named adrenalin
which mingles into the blood. If a person becomes angry very much, digestion
power of the victim reduces and juice of digestion changes into poison.
चिंता : हमें किसी भी समस्या के आने पर विचलित नहीं होना चाहिए। यदि हम किसी बात को
लेकर चिंतित होते हैं तो इसका हमारे शरीर बहुत अधिक बुरा प्रभाव पड़ता है। चिंता
करना शारीरिक स्वास्थ्य और सुंदरता का सबसे बड़ी दुश्मन मानी जाती है। किसी बात का
भय होने से चिंता उत्पन्न हो जाती है। चिंता करने से भी क्रोध के समान ही हमारे
शरीर के रक्त में रासायनिक परिवर्तन होता है जिसके कारण शरीर का रक्त अशुद्ध होकर
सूखने लगता है। जिसके परिणामस्वरूप शरीर सूखकर कांटा हो जाता है। शरीर की त्वचा की
चमक समाप्त हो जाती है, होंठों का रंग फीका पड़ जाता है, नाक
गीली हो जाती है और गाल भी पिचक जाते हैं। ऐसे रोगियों की पाचन क्रिया शीघ्र ही
प्रभावित हो जाती है जिसके कारण व्यक्ति टी.बी. से ग्रस्त हो जाता है। चिंता
ग्रस्त रोगी को नींद नहीं आती है और उसे अपना जीवन भार के समान लगने लगता है।
Anxiety: We should not become disturbed at the arrival of any problem. If we are
disturbed because of any thing, it prove very harmful for our body. Anxiety is
the biggest enemy for good health and beauty. Anxiety produces because of any
of fear. Chemical changes occur in the blood of our body due to anxiety like
anger because of which the body starts to dry due to impure blood. Thus, body
of a person dries very much and he becomes very thin. Lustre of the skin
disappears and color of the lips becomes fade. Besides, nose of the victim
become wet and cheeks squeeze. Digestion power of the victims gets affected
because of which the victim becomes the patient of tuberculosis. A patient of
anxiety does not sleep properly. He thinks his life as a burden.
ईर्ष्या-द्वेष : किसी से भी ईर्ष्या-द्वेष रखना मानसिक रोगों के
अन्तर्गत आता है। मनोवैज्ञानिकों और आधुनिक औषधि विज्ञान ने अपनी खोजों के आधार पर
यह सिद्ध कर दिया है कि ईर्ष्या-द्वेष शरीर के लिए उतना हानिकारक हो सकता है जितना
की तपेदिक और हृदय रोग। ईर्ष्या से हमारे शरीर के रक्त में विष का संचार हो जाता
है। जब ईर्ष्या और द्वेष अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच जाते हैं तो इससे पागलपन उत्पन्न
हो जाता है।
Envy-jealousy: Feelings of
envy and jealousy are considered as mental diseases. Psychologists and modern
medical science have proved after researches that envy-jealousy can be proves
as harmful for human being as tuberculosis and heart diseases. Poison produces
in our body due to envy. A man becomes mad when envy and jealousy reach on
climax.
मानसिक रोगों से बचाव :
मानसिक रोग बहुत ही हठीले और दु:साध्य होते हैं।
परन्तु मानसिक रोग असाध्य नहीं होते हैं। परन्तु यदि आत्मबल कम हो, जीवनीशक्ति
मर गई हो और शरीर में विजातीय द्रव्य का स्थान ऐसा हो कि प्राकृतिक उपचारों द्वारा
उसका निकाला जाना सम्भव न हो तो ऐसे रोगों को असाध्य ही समझना चाहिए। मानसिक रोगों
को मिटाने में मानसोपचार में अधिक सहायता मिलती है। मानसिक रोगों को रोकने में
निम्नलिखित नियमों का पालन करने से सहायता मिलती है।
Avoidance from
mental disease:
Mental diseases are
stubborn and take long time in treatment but they are not incurable. If self
power is less or vital power has died and heterogeneous liquid is present on a
place which cannot be expelled through treatment, such kinds of disease should
be considered incurable. Treatment of mind helps very much to get rid of mentaldiseases. Adoption of following rules helps in the appearance of mental
diseases.
- मन की शांति और अशांति
के कारण की ओर से मन को हटा लेने का प्रयत्न करना चाहिए और उसके बारे में
सोचना और विचार करना बिल्कुल ही बंद कर देना चाहिए।
- We should try to divert our mind from the
mental tumult. We should not think about it at any rate.
- हमेशा दूसरों के
अधिकारों का सम्मान करना चाहिए क्योंकि हम किसी से अपने अधिकार का सम्मान तभी
करा सकते हैं जब हम उसके अधिकारों का सम्मान स्वयं करेंगे।
- We should respect other’s rights because we
can get respect from others only when we respect other’s rights.
- हमें `नेकी कर और दरिया में डाल` की कहावत को चरितार्थ करते हुए दूसरों पर उपकार
करते रहना चाहिए। यदि उन उपकारों का बदला न मिले तो हमें दु:खी भी नहीं होना
चाहिए।
- We should help to the other person by keeping
faith in the proverb ‘do well and forget’. If we do not get benefits from
our good deeds, we should not become sad.
- बात-बात पर
उत्तेजित होना, उग्रता दिखाना, बहस करना, किसी को डराना और धमकाना, अपनी बात को सर्वोपरि रखना और अपनी इच्छाओं की
पूर्ति की आशा करना आदि अनेक मानसिक कमजोरियां होती हैं जो मनुष्य को अंदर ही
अंदर खा जाती हैं।
- High temperament on tiny things, showing
anger, threatening and frightening any person, habit of argument, hope of
the fulfillment of the desires and keeping one’s thing on the climax etc
are some mental disturbances which makes a man hollow from inside.
- जो मानसिक कष्ट, परेशानी, अड़चनें और बाधाएं उपस्थिति होती हैं, वे मात्र हमारे साथ ही नहीं वरन अन्य सभी के साथ भी हो सकती हैं। ऐसे
विचारों से आत्मसंतोष की प्राप्ति होती है।
- Not only one person but also almost all
persons suffer from mental disturbances, obstacles, problems and
obstructions. Such kind of thinking provides self satisfaction.
- संसार के सभी
कार्यों को भगवान की इच्छा समझते हुए अपने को निमित्त मात्र समझना चाहिए तथा
ईश्वर के प्रति आत्मसमर्पण की भावना को ही अपना रक्षा कवच समझना चाहिए।
- All the deeds should be considered the desire
of GOD and a person should consider only a medium. Sensation of devotion
for GOD should be considered the means of safety.
- मन के अधिक चंचल हो
जाने पर तेज आवाज से अच्छी पुस्तकों को पढ़ना चाहिए तथा भगवान का नाम लेकर ठंडा
पानी पीना चाहिए अथवा उस स्थान से हटकर कहीं दूर चले जाना चाहिए।
- If mind is too much skittish, the person
should study good books in loud voice and he should drink cold water by
chanting GOD or he should go anywhere from that place.
- मानसिक विकार होने
पर अपने मन से उलझना नहीं चाहिए तथा मन को अपना गुलाम और आज्ञाकारी बनाने का
प्रयत्न करना चाहिए जोकि उसका वास्तविक स्वरूप है।
- We should not struggle from ourselves if
there are mental disorders. We should try to make our mind slave and
obedient which is its true form.
- हमें अपने आप में
आत्मनिर्भरता, आत्म सम्मान और आत्मबल हमेशा भरते रहना चाहिए।
- We should be self depend and have self respect and self power.
No comments:
Post a Comment