आमतौर पर लोग यह समझते हैं कि रोग होने का कारण उसके कीटाणु होते हैं। परन्तु
प्राकृतिक चिकित्सा में रोग होने का मुख्य कारण स्वयं उस रोगी को ही माना जाता है
जो रोग से पीड़ित होता है। मनुष्य के रोग से पीड़ित होने के दो प्रमुख कारण होते
हैं-
Generally, people
consider that viruses are the cause of any disease but the patient himself is
considered the main cause of the disease. There are two main causes of the
appearance of disease.
1.
बाहृय
रोग।
2.
आंतरिक
रोग।
प्रकृति के नियम और स्वास्थ्य के सिद्धांतों के विरुद्ध आचरण करना रोग होने का
बाहरीय कारण होता है तथा अनिष्टकारी मनोवृत्तियों का असंगत प्रयोग तथा बुरी सोच, कल्पना
में खोए रहना तथा किसी प्रकार के भय आदि रोग होने के आंतरिक कारण होते हैं। यदि हम
प्रकृति के नियमों और सिद्धांतों के अनुसार अपना जीवन यापन नहीं करते हैं तो इसके
परिणामस्वरूप हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार के विकार उत्पन्न हो जाते हैं। शरीर
के रोगों से पीड़ित होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
- External disease
- Internal disease
Rules against the
principles of the nature and health are the external cause of the disease. Use
of bad mentality, bad thinking, any kind of fear and living in imagination are
the internal causes of the disease. If we do not pass our life according to the
rules and regulations of nature, different kinds of disturbances appear in our
body. Main causes of illness of the body have been given following.
3.
आप्राकृतिक
जीवन यापन
वर्तमान समय में हमारे चारों ओर का वातावरण अत्यधिक
प्रदूषित हो चुका है। वातावरण में फैली हुई बीमारियों और रोगों के दोषों को दूर
करने वाली एकमात्र औषधि प्रकृति के अनुसार जीवन यापन करना है। वास्तव में हमारी
कुछ आदते ही ऐसी हैं जो हमें स्वस्थ नहीं रहने देती हैं, उनमें
से कुछ आदतें नीचे दी जा रही हैं-
Unnatural way of
passing life:
Our surrounding has
been polluted very much in the present time. Passing life according to nature
is the only medicine of which a patient gets rid of all the diseases anddisturbances existed in the surrounding. Of course, there are some habits of
human beings which make us unhealthy. Some such habits have been given below-
1.
भोजन
सम्बंधी बुरी आदतें।
2.
मन
में बुरे विचार।
3.
आलस्य।
4.
मिथ्योपचार।
5.
पंचतत्वों
का कम से कम उपयोग।
6.
अनियमित
भोग विलास।
7.
कृत्रिमता
से अनुराग।
- Bad habits of eating
- Bad ideas in the mind
- Idleness
- Wrong treatment
- Less use of five nature elements
- Irregular involvement in sex
- Affection towards
artificiality.
प्राकृतिक जीवन :
संयम ही हमारे जीवन का आधार होता है। इसे सदाचार भी
कहते हैं। संयम सदाचार सद्चरित्र, स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन के नाम हैं। असंयम ही
वास्तव में सभी रोगों की जड़ है।
Natural life:
Self restraint is
the base of our life. It is called morality. Self restraint and good character
are the names of healthy body and healthy mind. Impatience is the root of all
the disease in reality.
4.
विजातीय
द्रव्य :
रोग होने का दूसरा प्रमुख कारण है प्राकृतिक जीवनयापन
के फलस्वरूप हमारे शरीर में विजातीय द्रव्यों का बढ़ जाना और उसका शरीर के
मलमार्गों द्वारा पूरी तरह से बाहर न निकल पाना। वैद्यकशास्त्र में विजातीय
द्रव्यों को दोष कहते हैं और यही दोष हमारे शरीर में रोग होने का प्रमुख कारण माना
जाता है।
Heterogeneous
liquid:
Enhancement of
heterogeneous liquids in our body because of passing natural life and
obstruction in the excretion of the stool from the body properly is the second
cause of the appearance of the disease. Heterogeneous liquids are called
disturbance in Vaidhak Shastra and this disturbance is considered the main
cause of the appearance of the disease in our body.
हमारे शरीर के अंदर के हानिकारक पदार्थ जैसे-
मल-मूत्र, पसीना, कफ, दूषित सांस, दूषित रक्त अथवा इसी प्रकार की कोई अन्य विषैली वस्तु
जो स्वस्थ रक्त और मांस के साथ मिलकर स्वस्थ शरीर का भाग नहीं बन सकती है, उनको
पोषण नहीं दे सकती है और उल्टे विनाश का कारण बन जाती है उसी को दोष या विजातीय
पदार्थ कहते हैं। विजातीय पदार्थ ठोस और तरल दोनों रूपों में हो सकते हैं।
Harmful substances of our body as stool-urine, sweating, phlegm, polluted
breathing, polluted blood or other poisonous things of this kind which cannot
be a part of healthy body after mixing with healthy blood and flesh, cannot
provide nutrition to the body but such things become the cause of destruction.
Such things are called disorder or heterogeneous things. Heterogeneous things
can be solid or in liquid form.
विजातीय द्रव्य क्या है :
विजातीय द्रव्यों के उद्वेग के कारण हमारे शरीर में
गर्मी बढ़ जाती है। शरीर में गर्मी का बढ़ना ही बुखार होता है। बुखार तभी होता है जब
शरीर में विजातीय द्रव्य मौजूद हों और उसके निकलने के सभी मार्ग बंद हो गये हों।
मौसम में परिवर्तन, बाहरी चोट, मानसिक उद्वेग आदि कारणों से शरीर में स्थिति विजातीय
द्रव्यों में हरकत होती है तथा वह बुखार का रूप धारण कर लेता है। उस समय यदि उचित
उपचार द्वारा उसे निकल जाने का मार्ग नहीं दिया जाए तो वह उस अवयव में विशेष गर्मी
करके उसे नष्ट कर देता है। शरीर के जिस किसी भी अंग पर विजातीय पदार्थों का आघात
होता है, वह आघात उस रोग के अवयव के नाम से जाना जाता है। केवल
खानपान की गलतियों से ही विजातीय पदार्थ हमारे शरीर में एकत्रित नहीं होते हैं
बल्कि विजातीय पदार्थ विभिन्न रास्तों से भी शरीर में प्रवेश करता है जो निम्न हैं।
What the
heterogeneous liquid is?
Heat increases in
our body because of the disturbances of heterogeneous liquids. A person suffers
from fever in the presence of heterogeneous liquids and all the passages of its
excretion have been closed. There is disturbance in the heterogeneous liquids
in our body because of the change in weather, external hurt, mental depressionand other causes. In this way, a person becomes the victim of fever. If passage
is not given to the heterogeneous liquid through adequate treatment, heat of
the part destroys it. Body portion of which heterogeneous liquid attacks is
known by the name of affected part. Heterogeneous liquids not only gather in
our body because of the wrong habits of eating but also these liquids enter
into our body through different passages which have been given below.
1.
जब
हम सांस लेते हैं तब सांस के द्वारा धूल में उड़ने वाले छोटे-छोटे कीटाणु, धुंआ, धूल
के कण तथा अन्य विजातीय पदार्थ शरीर में चले जाते हैं।
2.
मुंह
के द्वारा जल में मिश्रित कीटाणु और गंदगी आदि शरीर के अंदर पहुंच जाती है।
3.
विभिन्न
प्रकार के विषैले जन्तुओं के काटने पर भी शरीर में विष प्रवेश कर जाता है।
4.
जहरीली
औषधि का सेवन करने और संक्रमित इन्जेक्शनों को लगवाने से भी विजातीय पदार्थ शरीर
में प्रवेश कर जाते हैं।
1.
Small particles of dust, small viruses,
smoke and other heterogeneous substances enter into our body when we take
breath.
2.
Viruses existed in the water and filth
enters into our body through mouth.
3.
Poison enters into our body at the
biting of poisonous insects.
- Heterogeneous
substances enter into our body because of the use of poisonous medicine
and infected injection.
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