कम से कम 2000 साल पहले समे-समे (सिमिलिया सिमिलिबुस) होम्योपैथी
मत का यह मन्त्र सिर्फ पहले आर्यावर्त और पुराने ग्रीस में जपा गया था। इसके लगभग 100 साल बाद हैनीमैन नाम के एक महात्मा ने बहुत मेहनत
करके होम्योपैथी की साधना की और इसे संसार में फैलाया। इससे चिकित्सा संसार में
चिकित्सा की एक नई लहर उठी और हैनिमैन का नाम भी अमर हो गया।
First of all, Similiya Similibus, the spell of homoeopathy, has chanted
only in Aryavart and old Greece
about 2000 years ago. After about 100 years, Dr. Hahnemann studied hard about
homoeopathy and spread (described) it in the whole world. After that, a type of
revolution came in the medical field and the name of Hahnemann had been
immortal.
हैनीमैन-
चिकित्सा जगत में क्रान्ति लाने वाले हैनीमैन जी का
जन्म 20 अप्रैल 1755
ईस्वी को जर्मनी के सैक्सन राज्य के मांइसेन नगर में मिट्टी के बर्तन रंगने वाले
एक गरीब घर में हुआ था। इनको अपनी लिखाई-पढ़ाई में बहुत मुश्किलों का सामना करना
पड़ा। हैनीमैन जी ग्रीक, हिब्रु, अरबी, लैटिन, इटालियन, स्पेनिश, सीरियन, फ्रेंच, जर्मन, अंग्रेजी
भाषा और चिकित्सा-शास्त्र तथा रसायन-विद्या के पूरे ज्ञाता थे। असल बात यह थी
उनमें बहुत से विषयों की विद्या और सर्वोमुखी प्रतिभा का सुन्दर समावेश हो गया था
जिससे लोग उन्हें `अलौकिक दो सर का जीव´ (डोफेल्कोफ डोयूब्ले हेडेड प्रोडिगी ऑफ इरूडिशन) कहते
थे। हैनिमैन जी ने सिर्फ 24 साल की उम्र में ही एम.
डी. की डिग्री प्राप्त कर ली थी। हैनीमैन सिर्फ 12 साल की उम्र में ही अपने साथियों को ग्रीक भाषा पढ़ाने लग गए थे।
बचपन में हैनीमैन जी की प्रतिभा देखकर उनके सारे
शिक्षक बहुत ज्यादा प्रभावित थे। बचपन में हैनीमैन से प्रभावित होने वालों में
सबसे ज्यादा हार्बर ग्रेथ पर्नर का नाम आता है। अच्छे संस्कारों के कारण ही बचपन
से ही हैनीमैन का झुकाव चिकित्सा की तरफ हो गया था। वे सारे मनुष्यों की सेवा करके
उन्हे निरोगी बनाना चाहते थे। चिकित्सक हार्बर ग्रेथ पर्नर ने लिपजिग नगर के मुख्य
चिकित्सकों के नाम हैनीमैन को कई सिफारिशी पत्र दिए जिनमें उनकी कुशाग्रता का
खासतौर पर उल्लेख करते हुए उनकी सहायता करने की सिफारिश की गई थी।
Hahnemann-
Dr. Hahnemann had born in the town
of Saxon state of Germany in a poor family at 20
April 1755. His family members were porcelain painter of the earthen pots for
their occupation. He had to face many difficulties to complete his education.
He had complete knowledge about the languages of Greek, Hibru, Arabic, Latin, Italian,
Spanish, Syrian, French, German, English and also about medical science and
chemistry. Actually, he had a beautiful combination of many subjects and
talents and known as ‘Dophelcough double headed prodigy of erudition’. He had
qualified M.D in the age of only 24 years. He had started teaching Greek
language to his friends in the age of only 12 years.
In his childhood, all the teachers were impressed from him after knowing
his talent especially Harber Grath. Due to good consecration, Dr. Hahnemann had
interested in medical field from his childhood. He wanted to cure every patient
by serving them. Physician Harber Grath Purner had recommended him before chief
physicians of Leipzig
town in a written ways with describing his talent.
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