प्राकृतिक चिकित्सा की सहायता से रोगों को दूर करना
एक साधारण सी बात होती है। इसकी विधि तो पशु-पक्षी भी जानते हैं तथा इसी के उपयोग
से वे निरोग रहते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांत अटल और अपरिवर्तनशील हैं।
जब तक हमारी यह पृथ्वी रहेगी तब तक यह सत्य भी कायम रहेगा कि मनुष्य प्रकृति के
जितना नजदीक रहेगा उतना ही वह स्वस्थ और सुखी रहेगा क्योंकि प्रकृति के पास रहने
वाले व्यक्ति के पास रोग, शोक और दु:ख आ ही नहीं सकते हैं हम जिसे रोग कहते
हैं। यह वास्तव में प्राकृतिक चिकित्सा है। रोग होने पर हमें अपनी गलतियों का
अहसास होता है। रोग हमारे मित्र के समान होते हैं जो हमें स्वास्थ्य के प्रति सचेत
करने के लिए आते हैं।
Treatment of diseases by nature therapy is
a common thing. Animals and birds also know the method of nature therapy and
this is the reason that they remain far from diseases. Principles of nature
therapy are steady and unchangeable. This fact will run with the existence of
the earth. The man will remain healthy and happy if he lives close the nature
because disease, grief and sadness cannot touch to the person who lives close
to the nature. Grief and sadness are called disease by us. Of course, this is
the nature therapy. Diseases are our friends which warn us about health.
उदाहरणार्थ यदि मस्तिष्क में कोई विकार आ जाए तो
प्रकृति उस विकार को दूर करने के लिए रोगी को जुकाम कर देगी, या
प्यास ज्यादा लगेगी और नाक से पानी निकलकर वह विकार दूर हो जाएगा। प्रकृति अपने
आपमें स्वयं ही एक चिकित्सक है।
For example, if there is any disturbance in the brain, nature will produce catarrh
or the person will suffer from excessive thirst or water from the nose to curethe disease. In this way, the person will become healthy. Nature is a doctor
itself.
जब पानी पीते समय पानी हवा की नली में चला जाता है तो
खांसी पैदा करके प्रकृति ही उसको ठीक करती है। हडि्डयों के टूट जाने उसे प्रकृति
ही जोड़ती है। हमें मालूम होना चाहिए कि रोगी के रोग का निवारण उसका शरीर स्वयं ही
करता है। प्रकृति का सारा काम तेजी से नहीं बल्कि धीरे-धीरे होता है। जो शक्ति
धीरे-धीरे संचित होती है वह शरीर के लिए बहुत ही उपयोगी होती है। जैसे कि पेड़
काटने में थोड़ा सा समय ही लगता है परन्तु पेड़ को उगाने और बड़ा होने में वर्षों का
समय लग जाता है। उसी प्रकार प्राकृतिक चिकित्सा में धैर्य का होना बहुत ही आवश्यक
होता है। जब रोगी सभी प्रकार की चिकित्सा करके परेशान हो जाता है तो वह रोगी
प्राकृतिक चिकित्सा की शरण में आता है।
When water enters into the breathing pipe, nature ends the problem by
producing cough. Nature attaches broken bones if they break because of any
reason. We should become aware with the fact that treatment of the disease is
done by the body itself but it happens slowly not in a fast way. Strength that
gathers gradually proves very beneficial for the body. As a tree is cut off
within few minutes but the tree grows in many years as patience is very
essential in nature therapy. When the patient gets dejection from every kind of
treatment, he comes in the shelter of nature therapy.
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